वैशाली की नगरवधू

लेखक: आचार्य चतुरसेन शास्त्री

शैली: उपन्यास

विवरण

इसमें भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। इस उपन्यास का कथात्मक परिवेश ऐतिहासिक तथा सां ...

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अध्याय

प्रवचन
प्रवेश
अध्याय 1- धिक्कृत कानून
अध्याय 2- गण-सन्निपात
अध्याय 3- नीलपद्म प्रासाद
अध्याय 4 - मंगलपुष्करिणी अभिषेक
अध्याय 5 - पहला अतिथि
अध्याय 6 - उरुबेला तीर्थ
अध्याय 7 - शाक्यपुत्र गौतम
अध्याय 8 - कुलपुत्र यश
अध्याय 9 - धर्म चक्र-प्रवर्तन
अध्याय 10 - वैशाली का स्वर्ग
अध्याय 11 - राजगृह
अध्याय 12 - रहस्यमयी भेंट
अध्याय 13 - बन्दी की मुक्ति
अध्याय 14 - राजगृह का वैज्ञानिक
अध्याय 15 - मगध महामात्य आर्य वर्षकार
अध्याय 16 - आर्या मातंगी
अध्याय 17 - महामिलन
अध्याय 18 - ज्ञातिपुत्र सिंह
अध्याय 19 - मल्ल दम्पती
अध्याय 20 - साकेत
अध्याय 21 - कोसलेश प्रसेनजित्
अध्याय 22 - माण्डव्य उपरिचर
अध्याय 23 - जीवक कौमारभृत्य
अध्याय 24 - नियुक्त
अध्याय 25 - नियुक्त का शुल्क
अध्याय 26 - चम्पारण्य में
अध्याय 27 - शम्बर असुर की नगरी में
अध्याय 28 - कुण्डनी का अभियान
अध्याय 29 - असुर भोज
अध्याय 30 - मृत्यु-चुम्बन
अध्याय 31 - चम्पा में
अध्याय 32 - शत्रुपुरी में मित्र
अध्याय 33 - पशुपुरी का रत्न-विक्रेता
अध्याय 34 - असम साहस
अध्याय 35 - शंब असुर का साहस
अध्याय 36 - गुप्त पत्र
अध्याय 37 - आक्रमण
अध्याय 38 - मृत्युपाश
अध्याय 39 - पलायन
अध्याय 40 - चम्पा का पत
अध्याय 41 - वादरायण व्यास
अध्याय 42 - सम्मान्य अतिथि
अध्याय 43 - गर्भ-गृह में
अध्याय 44 - भारी सौदा
अध्याय 45 - भविष्य-कथन
अध्याय 46 - साम्राज्य
अध्याय 47 - दास नहीं, अभिभावक
अध्याय 48 - सोम की भाव-धारा
अध्याय 49 - मार्ग-बाधा
अध्याय 50 - श्रावस्ती
अध्याय 51 - वर्षकार का यन्त्र
अध्याय 52 - सोण कोटिविंश
अध्याय 53 - गृहपति अनाथपिण्डिक
अध्याय 54 - मगध-महामात्य की कूटनीति
अध्याय 55 - मागध विग्रह
अध्याय 56 - नापित-गुरु
अध्याय 57 - शालिभद्र
अध्याय 58 - सर्वजित् महावीर
अध्याय 59 - शालिभद्र का विराग
अध्याय 60 - पांचालों की परिषद्
अध्याय 61 - जैतवन में तथागत
अध्याय 62 - अजित केसकम्बली
अध्याय 63 - राजपुत्र विदूडभ
अध्याय 64 - दासों के हट्ट में
अध्याय 65 - युग्म युग
अध्याय 66 - विदूडभ का कूट
अध्याय 67 - राजसूय समारम्भ
अध्याय 68 - वज्रपात
अध्याय 69 - क्रीता दासी
अध्याय 70 - निगंठ - दर्शन
अध्याय 71 - द्वन्द्व
अध्याय 72 - उद्धार
अध्याय 73 - प्रसेनजित् का कौतूहल
अध्याय 74 - यज्ञ
अध्याय 75 - राजनन्दिनी
अध्याय 76 - सेनापति कारायण
अध्याय 77 - प्रसेनजित् का निष्कासन
अध्याय 78 - बन्धुल का दांव -पेंच
अध्याय 79 - कुटिल ब्राह्मण
अध्याय 80 - दुःखद अन्त
अध्याय 81 - नाउन
अध्याय 82 - दीहदन्त का अड्डा
अध्याय 83 - कोसल - दुर्ग
अध्याय 84 - नर्म साचिव्य
अध्याय 85 - कठिन अभियान
अध्याय 86 - अभिषेक
अध्याय 87 - आत्मदान
अध्याय 88 - सहभोग्यमिदं राज्यम्
अध्याय 89 - मार्मिक भेंट
अध्याय 90 - चिरविदा
अध्याय 91 - सुप्रभात
अध्याय 92 - मधुपर्व
अध्याय 93 - आखेट
अध्याय 94 - रंग में भंग
अध्याय 95 - साहसी चित्रकार
अध्याय 96 - मंजुघोषा का प्रभाव
अध्याय 97 - एकान्त वन में
अध्याय 98 - अपार्थिव नृत्य
अध्याय 99 - पीड़ानन्द
अध्याय 100 - अभिन्न हृदय
अध्याय 101 - विदा
अध्याय 102 - वैशाली की उत्सुकता
अध्याय 103 - दो बटारू
अध्याय 104 - दस्यु बलभद्र
अध्याय 105 - युवराज स्वर्णसेन
अध्याय 106 - प्रत्यागत
अध्याय 107 - वैशाली में मगध महामात्य
अध्याय 108 - भद्रनन्दिनी
अध्याय 109 - नन्दन साहु
अध्याय 110 - दक्षिणा -ब्राह्मणा- कुण्डपुर - सन्निवश
अध्याय 111 - हरिकेशीबल
अध्याय 112 - चाण्डाल मुनि का कोप
अध्याय 113 - न्निपात -भेरी
अध्याय 114 - मोहनगृह की मन्त्रणा
अध्याय 115 - पारग्रामिक
अध्याय 116 - छाया – पुरुष
अध्याय 117 - विलय
अध्याय 118 - असमंजस
अध्याय 119 - देवजुष्ट
अध्याय 120 - कीमियागर गौड़पाद
अध्याय 121 - अप्रत्याशित
अध्याय 122 - प्राणाकर्षण
अध्याय 123 - अनागत
अध्याय 124 - एकाकी
अध्याय 125 - मधुवन में
अध्याय 126 - विसर्जन
अध्याय 127 - एकान्त पान्थ
अध्याय 128 - प्रतीहार का मूलधन
अध्याय 129 - प्रतीहार - पत्नी
अध्याय 130 - गणदूत
अध्याय 131 - जयराज और दौत्य
अध्याय 132 - गुह्य निवेदन
अध्याय 133 - पलायन
अध्याय 134 - घातक द्वन्द्व युद्ध
अध्याय 135 - चण्डभद्रिक
अध्याय 136 - दूसरी मोहन – मन्त्रणा
अध्याय 137 - युद्ध विभीषिका
अध्याय 138 - मागध स्कन्धावार -निवेश
अध्याय 138 - प्रयाण
अध्याय 140 - शुभ दृष्टि
अध्याय 141 - मागध मंत्रणा
अध्याय 142 - प्रकाश - युद्ध
अध्याय 143 - लघु विमर्श
अध्याय 144 - व्यस्त रात्रि
अध्याय 145 - अभिसार
अध्याय 146 - सांग्रामिक
अध्याय 147 - द्विशासन
अध्याय 148 - रथ - मुशल - संग्राम
अध्याय 149 - कैंकर्य : वैशाली की नगरवधू
अध्याय 150 - महाशिलाकण्टक विनाशयन्त्र
अध्याय 151 - छत्र - भंग
अध्याय 152 - आत्मसमर्पण
अध्याय 153 - दृग -स्पर्श
अध्याय 154 - विराम – सन्धि
अध्याय 155 - अश्रु - सम्पदा
अध्याय 156 - पिता - पुत्र
उपसंहार
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