राज्यश्री

लेखक: जयशंकर प्रसाद

शैली: नाटक

विवरण

इस नाटक का सारांश यह है, कि स्थानेश्वर में अपना राज्य स्थापित कर प्रभाकरवर्धन सीमा क ...। स्थानेश्वर और कन्नौज का उत्कर्ष देखकर मालवा और गौड़ ईर्ष्यालु बन जाते हैं।

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अध्याय

प्राक्कथन
पात्र-परिचय
प्रथम अंक-प्रथम दृश्य
प्रथम अंक-द्वितीय दृश्य
प्रथम अंक-तृतीय दृश्य
प्रथम अंक-चतुर्थ दृश्य
प्रथम अंक-पञ्चम दृश्य
प्रथम अंक-षष्ठ दृश्य
प्रथम अंक-सप्तम दृश्य
द्वितीय अंक-प्रथम दृश्य
द्वितीय अंक-दूसरा दृश्य
द्वितीय अंक-तृतीय दृश्य
द्वितीय अंक-चतुर्थ दृश्य
द्वितीय अंक-पञ्चम दृश्य
द्वितीय अंक-षष्ठ दृश्य
द्वितीय अंक-सप्तम दृश्य
तृतीय अंक-प्रथम दृश्य
तृतीय अंक-द्वितीय दृश्य
तृतीय अंक-तृतीय दृश्य
तृतीय अंक-चतुर्थ दृश्य
तृतीय अंक-पञ्चम दृश्य
चतुर्थ अंक-प्रथम दृश्य
चतुर्थ अंक-द्वितीय दृश्य
चतुर्थ अंक-तृतीय दृश्य
चतुर्थ अंक-चतुर्थ दृश्य
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